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Supreme Court on Consensual relationship turning sour cant ground for invoking criminal machinery | सहमति से बने रिश्ते बिगड़ना आपराधिक कार्रवाई का आधार नहीं: सुप्रीम कोर्ट बोला- शादी का वादा तोड़ने को झूठा मानना और रेप का आरोप लगाना मूर्खता

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नई दिल्ली1 घंटे पहले

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फोटो AI जनरेटेड है। - Dainik Bhaskar

फोटो AI जनरेटेड है।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि सहमति से बने रिश्ते में खटास आना या पार्टनर का दूर होना आपराधिक कार्रवाई का आधार नहीं हो सकता। इस तरह के मामले न केवल अदालतों पर बोझ हैं बल्कि आरोपी की पहचान को भी धूमिल करते हैं। शादी का झूठा आश्वासन देकर एक महिला से दुष्कर्म करने के मामले को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की।

जस्टिस बीवी नागरत्ना और सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने कहा कि भले ही FIR में लगाए गए आरोपों को सही माना जाए, लेकिन रिकॉर्ड से ऐसा नहीं लगता कि शिकायतकर्ता की सहमति उसकी इच्छा के विरुद्ध और केवल शादी करने के आश्वासन पर ली गई थी।

बेंच ने कहा- हमारे विचार से, यह ऐसा मामला भी नहीं है जहां शुरू में शादी करने का झूठा वादा किया गया हो।हमने बार-बार प्रावधानों के दुरुपयोग के खिलाफ चेतावनी दी है। शादी करने के हर वादे के उल्लंघन को झूठा वादा मानना ​​और रेप के लिए किसी व्यक्ति पर मुकदमा चलाना मूर्खता है।

सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी की अपील पर फैसला सुनाया, जिसने बॉम्बे हाईकोर्ट के जून 2024 के आदेश को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने सतारा में रेप के लिए आरोपी के खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने की याचिका को खारिज कर दिया था।

जानिए क्या था पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि मामला महिला की शिकायत पर दर्ज किया गया था, जिसने आरोप लगाया था कि जून 2022 से जुलाई 2023 के दौरान, आरोपी ने शादी का झूठा आश्वासन देकर उसके साथ जबरन यौन संबंध बनाए। जबकि आरोपी ने आरोपों से इनकार किया था। FIR दर्ज होने के बाद, आरोपी ने अग्रिम जमानत के लिए निचली अदालत का दरवाजा खटखटाया, जिसे अगस्त 2023 में मंजूर कर लिया गया।

आरोपी और शिकायतकर्ता जून 2022 से परिचित थे और उसने खुद स्वीकार किया कि वे अक्सर बातचीत करते थे और प्यार में पड़ गए। जांच से यह भी पता चला है कि 29 दिसंबर 2022 को खुलानामा दिया गया था, जिसे शिकायतकर्ता ने अपने पूर्व पति से प्राप्त किया था। खुला एक मुस्लिम महिला को अपने पति का मेहर लौटाकर एकतरफा तलाक देने की अनुमति देता है।

कोर्ट ने कहा कि आरोपी के खिलाफ आपराधिक मुकदमा संभवतः किसी छिपे हुए मकसद और असंतुष्ट मनोस्थिति के साथ चलाया जा रहा है। इस बात की भी कोई संभावना नहीं है कि कोई भी महिला जो पहले से शादीशुदा है, जिसका चार साल का बच्चा है, वह आरोपी से धोखा खाती रहेगी।

कोर्ट ने आरोपी की अपील को स्वीकार कर लिया और हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया।

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