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- Radhika Ojha Honoured With Trailblazer Award 2025, Vision Of Providing Equal Opportunities To Differently abled Sportspersons Brought Her Achievement
11 घंटे पहले
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नोएडा की स्कूल स्टूडेंट राधिका ओझा को प्रतिष्ठित राष्ट्रीय खेल उत्कृष्टता सामुदायिक ट्रेलब्लेजर पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया गया है। राधिका एक चेंजमेकर बनने की इच्छा रखती है। यह प्रतिष्ठित सम्मान उन व्यक्तियों को दिया जाता है जिन्होंने कम्यूनिटीज को ट्रांसफॉर्म करने वाले नए इनक्लूसिव इनीशिएटिव्स का बीड़ा उठाया है।
राधिका ने दिव्यांग एथलीटों के लिए एडाप्टिव स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने में अभूतपूर्व काम किया है जो आशा और बदलाव की किरण के रूप में सामने आया है।
कम्युनिटी ट्रेलब्लेज़र अवार्ड विशेष रूप से उन दूरदर्शी लोगों को मान्यता देता है जो खेलों में समानता, पहुंच और सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए पारंपरिक सीमाओं से आगे बढ़ते हैं। खेलों को वास्तव में इनक्लूसिव बनाने के लिए राधिका की प्रतिबद्धता एक शक्तिशाली संदेश को दर्शाती है कि युवाओं के नेतृत्व में, जमीनी स्तर के प्रयास देश भर में बदलाव ला सकते हैं।
दिव्यांग एथलीट भी समान मंच और प्रोत्साहन के हकदार हैं- राधिका
राधिका ने कहा, “यह पुरस्कार उन लोगों के लिए है जिन्हें अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है। दिव्यांग एथलीट किसी भी अन्य खिलाड़ी की तरह ही समान मंच और प्रोत्साहन के हकदार हैं। मैं पिछले कुछ वर्षों में मेरे प्रयासों को मान्यता देने के लिए STAIRS फाउंडेशन और समिति की वास्तव में आभारी हूं।

राधिका ने दिव्यांग एथलीटों के लिए एडाप्टिव स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने में अभूतपूर्व काम किया है।
दिव्यांगों सहित सभी के लिए सुलभता और सम्मान पर जोर
राधिका की जर्नी परपज ड्रिवन लीडरशिप का उदाहरण है। उन्होंने अपनी कठिन इंटरनेशनल बैकलॉरिएट स्टडीज के साथ प्रभावशाली सामुदायिक सेवा का संतुलन बनाया है। उन्होंने सतत विकास और सामाजिक समानता पर केंद्रित कई पहल का नेतृत्व किया है। इनमें प्रोजेक्ट राहत एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।
वंचित समुदायों को टिकाऊ और मानवीय आर्किटेक्चरल सोल्यूशंस प्रदान करने वाला प्रोजेक्ट राहत राधिका के समावेशी दृष्टिकोण के अनुरूप है, जिसमें दिव्यांगों सहित सभी के लिए सुलभता और सम्मान पर जोर दिया गया है।
बुनियादी ढांचे की बाधाओं को दूर कर यह प्रोजेक्ट एक ऐसे समाज की नींव रखता है जहां व्यक्ति शारीरिक या सामाजिक कमियों के बावजूद फल-फूल सकते हैं। यह सिद्धांत है जो एडोप्टिव खेलों में उनके काम में भी सहजता से लागू होता है।
समाज दिव्यांगों के लिए खेलों को असामान्य मानना बंद करे- राधिका
पिछले 3-4 सालों में, राधिका ने दिव्यांग खिलाड़ियों के हितों की लगातार वकालत की है, जिससे उनकी अधिक भागीदारी हो, संसाधनों तक पहुंच हो और उन्हें भावनात्मक समर्थन मिले। उनका काम इस प्रचलित गलत धारणा को चुनौती देता है कि शारीरिक विकलांगता अक्षमता के बराबर है।
वह जोश के साथ कहती हैं- हमारे समाज को दिव्यांगों के लिए खेलों को असामान्य चीज के रूप में देखना बंद कर देना चाहिए। इसे किसी भी अन्य खेल की तरह आम होना चाहिए। उनका दृष्टिकोण स्पष्ट है- एडोप्टिव खेल मुख्यधारा में आने चाहिए, उन्हें मजबूत संस्थागत समर्थन और सार्वजनिक मान्यता मिलनी चाहिए।
राधिका ने ओलिंपिक खेलों से ली प्रेरणा
ओलिंपिक खेलों के निष्पक्षता और समान अवसर के सिद्धांतों से प्रेरणा लेते हुए राधिका एक ऐसे भारत की कल्पना करती हैं जहां दिव्यांग युवा गर्व और आत्मविश्वास के साथ अपने एथलेटिक सपनों को पूरा कर सकें।
भविष्य की ओर देखते हुए, राधिका अगले पांच वर्षों के भीतर देश भर में दिव्यांग एथलीटों के लिए एक लचीला, समावेशी इकोसिस्टम बनाने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं।
उनके सपने में राष्ट्रीय और स्थानीय नीतियां शामिल हैं जो समावेशिता को सुनिश्चित करती हैं, खेल संघ जो अनुकूलन कार्यक्रमों को प्राथमिकता देते हैं, और एक ऐसा समाज जो क्षमता की परवाह किए बिना एथलेटिक प्रतिभा का जश्न मनाता है।
खेलों से परे, राधिका का जुनून खगोल विज्ञान और वैज्ञानिक अन्वेषण तक फैला हुआ है, जो नवाचार और सामाजिक परिवर्तन दोनों के लिए समर्पित एक बहुआयामी भावना को प्रदर्शित करता है।
यह सम्मान सिर्फ पिछले प्रयासों की मान्यता नहीं है – यह एक अधिक समतापूर्ण, दयालु भारत के लिए एक स्पष्ट आह्वान है, जहां हर किसी की क्षमता को चमकने का उचित अवसर दिया जाए।
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