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Niti Aayog member said- India did not become the fourth largest economy | नीति आयोग के सदस्य बोले–भारत चौथी बड़ी इकोनॉमी नहीं बना: साल के अंत तक बन सकता है; CEO ने कहा था- मुकाम हासिल किया

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नई दिल्ली2 मिनट पहले

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नीति आयोग के सदस्य अरविंद विरमानी ने न्यूज एजेंसी PTI से भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर नया दावा किया है। विरमानी ने कहा है कि भारत इस साल तक दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा और जापान से आगे निकल जाएगा।

विरमानी ने कहा-

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भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनने की ओर अग्रसर है। मुझे व्यक्तिगत रूप से भरोसा है कि ऐसा 2025 के अंत तक हो जाएगा। इस बात को पुख्ता तरीके से रखने के लिए हमें 12 महीने का डेटा देखना होगा। तब तक यह पूर्वानुमान रहेगा।

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वहीं, नीति आयोग के CEO बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने 24 जून को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन गया है। आज भारत जापान से बड़ी (4 ट्रिलियन डॉलर) अर्थव्यवस्था है। अब केवल अमेरिका, चीन और जर्मनी ही भारत से बड़े हैं।” अगर हम अपनी योजना और सोच-विचार पर टिके रहे, तो 2.5-3 साल में हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे।

इंटरनेशनल मॉनीटरी फंड (IMF) ने अप्रैल में जारी वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक में दावा किया था कि भारत, जापान को पछाड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। 2025 में भारत की GDP 4.19 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की 10वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में नीति आयोग के CEO सुब्रह्मण्यम ने भारतीय इकोनॉमी के चौथे नंबर पर पहुंचने की जानकारी दी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की 10वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में नीति आयोग के CEO सुब्रह्मण्यम ने भारतीय इकोनॉमी के चौथे नंबर पर पहुंचने की जानकारी दी।

नीति आयोग CEO के दावे पर क्या बोले विरमानी यह पूछे जाने पर कि नीति आयोग के CEO बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने भारत को दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बता दिया था, इस पर विरमानी ने कहा- यह काफी उलझा हुआ सवाल है। मुझे वाकई नहीं पता कि उन्होंने क्या शब्द कहे। हो सकता है कि उनसे कोई शब्द छूट गया हो या कुछ और।

भारत की इस उपलब्धि का ग्लोबल सिनेरियो पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

भारत का चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना ग्लोबल लेवल पर कई प्रभाव डालेगा:

  • वैश्विक प्रभाव में बढ़ोतरी: भारत का अंतरराष्ट्रीय मंचों जैसे G20 और IMF में प्रभाव बढ़ेगा।
  • इन्वेस्टमेंट हब: भारत में फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI) में और वृद्धि होगी, क्योंकि ग्लोबल कंपनियां भारत को एक आकर्षक बाजार के रूप में देख रही हैं।
  • क्षेत्रीय स्थिरता: भारत और जापान के बीच मजबूत रणनीतिक साझेदारी, जैसे चंद्रयान-5 और सैन्य सहयोग, भारत-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ावा देगी।
  • इकोनॉमिक लीडरशिप: भारत इस उपलब्धि के बाद ग्लोबल इकोनॉमिक लीडरशिप की दिशा में और करीब आ गया है। भारत अगर 2028 तक जर्मनी को पीछे छोड़ देता है तो लीडरशिप और मजबूत होगी।

सवाल 3. जापान की अर्थव्यवस्था क्यों पिछड़ रही है?

जवाब: जापान की अर्थव्यवस्था कई चुनौतियों का सामना कर रही है:

लो ग्रोथ रेट: IMF के अनुमान के अनुसार, 2025 में जापान की जीडीपी ग्रोथ रेट केवल 0.3% रहने की उम्मीद है, जो भारत की 6.5% की तुलना में बहुत कम है।

जनसांख्यिकीय संकट: जापान की उम्रदराज आबादी और लो बर्थ रेट ने लेबर फोर्स को सीमित कर दिया है।

ग्लोबल ट्रेड टेंशन्स: अमेरिका और अन्य देशों द्वारा लगाए गए टैरिफ और व्यापार नीतियों ने जापान की निर्यात-आधारित अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है।

आर्थिक स्थिरता की कमी: जापान की अर्थव्यवस्था कई दशकों से स्थिरता के लिए संघर्ष कर रही है, जिसके कारण वह भारत जैसे तेजी से बढ़ते देशों से पिछड़ गया है।

सवाल 4. क्या भारत जल्द ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है?

जवाब: हां, IMF और अन्य वैश्विक संस्थानों के अनुमानों के अनुसार, यदि भारत की वर्तमान वृद्धि दर बनी रहती है, तो 2028 तक भारत जर्मनी (4.9 ट्रिलियन डॉलर जीडीपी) को पीछे छोड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।

भारत की जीडीपी 2027 तक 5 ट्रिलियन डॉलर और 2028 तक 5.58 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। इसके बाद केवल अमेरिका (30.57 ट्रिलियन डॉलर) और चीन (19.231 ट्रिलियन डॉलर) ही भारत से आगे रहेंगे।

सवाल 5. भारत के इस इकोनॉमिक बूम का आम लोगों पर क्या असर होगा?

जवाब: भारत की आर्थिक प्रगति का आम लोगों पर कई सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है:

  • रोजगार के अवसर: तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था से नए रोजगार सृजित होंगे, खासकर तकनीक, विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में।
  • बेहतर जीवन स्तर: बढ़ती जीडीपी और निवेश से इन्फ्रास्ट्रक्चर, स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार होगा।
  • कंज्यूमर पावर: बढ़ती आय और मध्यम वर्ग के विस्तार से उपभोक्ता वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ेगी।
  • चुनौतियां: आय का असमान डिस्ट्रीब्यूशन और महंगाई जैसी चुनौतियां बनी रह सकती हैं, जिन्हें सरकार को संबोधित करना होगा।

GDP क्या है?

इकोनॉमी की हेल्थ को ट्रैक करने के लिए GDP का इस्तेमाल होता है। ये देश के भीतर एक तय समय में बनाए गए सभी गुड्स और सर्विस की वैल्यू को दिखाती है। इसमें देश की सीमा के अंदर रहकर जो विदेशी कंपनियां प्रोडक्शन करती हैं उन्हें भी शामिल किया जाता है।

दो तरह की होती है GDP

GDP दो तरह की होती है। रियल GDP और नॉमिनल GDP। रियल GDP में गुड्स और सर्विस की वैल्यू का कैलकुलेशन बेस ईयर की वैल्यू या स्टेबल प्राइस पर किया जाता है।

फिलहाल GDP को कैलकुलेट करने के लिए बेस ईयर 2011-12 है। वहीं नॉमिनल GDP का कैलकुलेशन करंट प्राइस पर किया जाता है।

कैसे कैलकुलेट की जाती है GDP?

GDP को कैलकुलेट करने के लिए एक फॉर्मूले का इस्तेमाल किया जाता है। GDP=C+G+I+NX, यहां C का मतलब है प्राइवेट कंजम्प्शन, G का मतलब गवर्नमेंट स्पेंडिंग, I का मतलब इन्वेस्टमेंट और NX का मतलब नेट एक्सपोर्ट है।

GDP की घट-बढ़ के लिए जिम्मेदार कौन है?

GDP को घटाने या बढ़ाने के लिए चार इम्पॉर्टेंट इंजन होते हैं। पहला है, आप और हम। आप जितना खर्च करते हैं, वो हमारी इकोनॉमी में योगदान देता है। दूसरा है, प्राइवेट सेक्टर की बिजनेस ग्रोथ। ये GDP में 32% योगदान देती है। तीसरा है, सरकारी खर्च।

इसका मतलब है गुड्स और सर्विसेस प्रोड्यूस करने में सरकार कितना खर्च कर रही है। इसका GDP में 11% योगदान है। और चौथा है, नेट डिमांड। इसके लिए भारत के कुल एक्सपोर्ट को कुल इम्पोर्ट से घटाया जाता है, क्योंकि भारत में एक्सपोर्ट के मुकाबले इम्पोर्ट ज्यादा है, इसलिए इसका इम्पैक्ट GPD पर निगेटिव ही पड़ता है।

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