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IPO के बाद हुंडई, स्विगी, ओला इलेक्ट्रिक और NTPC ग्रीन का क्यों हुआ बुरा हाल, अब क्या करें निवेशक? – why hyundai swiggy ola electric ntpc green ipos are underperforming and what investors should do

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IPO performance: पिछले साल यानी 2024 में कई नामी-गिरामी कंपनियां अपने IPO लाईं। कई ने निवेशकों को अच्छा रिटर्न भी दिया। लेकिन, बीते साल के 10 सबसे लिस्टिंग में से चार अभी भी अपने इश्यू प्राइस से नीचे ट्रेड कर रहे हैं, Hyundai Motor India, Swiggy, NTPC Green Energy और Ola Electric। इन स्टॉक्स का शोर आसमान तक था, लेकिन फिलहाल के लिए ये जमीन पर धूल फांक रहे हैं।

आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि इन चारों कंपनियों के शेयर उड़ान क्यों नहीं भर पा रहे हैं और निवेशकों को अब क्या करना चाहिए।

पिछले साल का सबसे बड़ा IPO Hyundai Motor India ₹1,960 पर लिस्ट हुआ था। लेकिन, इसके बाद रिटर्न लगभग 3.87% गिर गए हैं। मजबूत ब्रांड और मिड-साइज सेगमेंट में अच्छी पकड़ के बावजूद दिग्गज ऑटोमेकर के शेयर निवेशकों को मुनाफा नहीं दे पाएं।

एक कारण जो बताया जा रहा है वह है प्राइसिंग। मार्केट एक्सपर्ट क्रांति बठिनी (Kranti Bathini) का कहना है, “यह बात नहीं है कि Hyundai कमाई के मोर्चे पर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही है। लेकिन तुलनात्मक रूप से देखें तो प्रतिस्पर्धि कंपनियों की हाई प्रोमोशनल एक्टिविटी और नए लॉन्च से हुंडई का मार्केट शेयर दबाव में आया है।”

एनालिस्टों के मुताबिक, चिंता को बढ़ाने वाला एक और पहलू था इश्यू का स्ट्रक्चर। Hyundai का IPO पूरी तरह से ऑफर-फॉर-सेल (OFS) था, जिसमें कोई फ्रेश इक्विटी नहीं थी। सीनियर मार्केट एक्सपर्ट दीपक जसानी ने कहा, “ऐसे मामलों में, जहां IPO का पैसा कंपनी की ग्रोथ के लिए नहीं जाता, वह भी निवेशकों के लिए चिंता का विषय रहता है।”

Swiggy भी पिछले साल की सबसे चर्चित लिस्टिंग में शुमार थी। यह अब अपने IPO प्राइस से 20% से अधिक नीचे है। एनालिस्टों का कहना है कि मुख्य ट्रिगर था अप्रैल में लॉक-इन पीरियड का खत्म होना, जिससे इसकी 83% शेयरहोल्डिंग ट्रेड के लिए खुल गई। उसी दिन स्टॉक 6.4% गिरा और 52-सप्ताह के निचले स्तर पर पहुंच गया।

बठिनी का कहना है, “एंकर निवेशकों ने इसे एग्जिट के मौके के तौर पर लिया। लिस्टिंग के समय ग्रोथ की कहानियां असल बुनियादी बातों से बेहतर लग रही थीं। ऐसे में निवेशकों ने जोखिम को न्यूट्रलाइज करने के लिए बिकवाली की।”

Swiggy के मामले में वित्तीय स्थिति ने भी मदद नहीं की। Q4FY25 में इसका शुद्ध घाटा लगभग दोगुना होकर ₹1,081 करोड़ हो गया, हालांकि राजस्व साल-दर-साल 45% बढ़ा। निरंतर कैश बर्न और ब्रेकइवन तक पहुंचने में कठिनाई ने धारणा को प्रभावित किया है। बठिनी का कहना है कि स्विगी को ब्रेकइवन तक पहुंचने में दिक्कत हो रही है। इस सेक्टर में प्रतिस्पर्धा भी जबरदस्त है।

Ola Electric की लिस्टिंग ₹76 प्रति शेयर पर हुई थी। यह भी लॉक-इन पीरियड खत्म होने के बाद इश्यू प्राइस से नीचे गिर गया। उसी हफ्ते 18 करोड़ से अधिक शेयर अनलॉक हुए और स्टॉक 7% से अधिक गिर गया। ओला इलेक्ट्रिक को लेकर कई नेगेटिव खबरें भी आईं, जिससे निवेशकों का भरोसा कमजोर हुआ है।

बठिनी ने कहा, “Ola को अपने क्षेत्र में एक लीडर के रूप में देखा जा रहा था, लेकिन नेगेटिव नैरेटिव्स ने इसके शेयरों को नुकसान पहुंचाया। ये स्टॉक्स शायद अभी भी परफेक्ट वैल्यूएशन से दूर हैं।”

NTPC जैसे दिग्गज सरकारी कंपनी (PSU) की सहयोगी कंपनी होने के बावजूद NTPC Green Energy भी इश्यू प्राइस से थोड़ा नीचे ट्रेड कर रही है। हुंडई, स्विगी या ओला इलेक्ट्रिक के उलट इसे लॉक-इन पीरियड की अस्थिरता का ज्यादा सामना नहीं करना पड़ा, लेकिन इसने कोई खास मोमेंटम भी नहीं बनाया।

बठिनी का कहना है, “लिस्टिंग के समय रिन्यूएबल एनर्जी एक ओवरहाइप थीम थी। स्टॉक उस हाइप पर खरा नहीं उतरा है। लेकिन कंपनी की क्वॉलिटी अच्छी है और यह सेक्टर लॉन्ग टर्म में अच्छा कर सकता है।”

इन चारों कंपनियों का बिजनेस आउटलुक कैसा है?

Hyundai: Q4FY25 के हालिया आय में PAT में गिरावट देखी गई, लेकिन कंपनी ने स्थिर ग्रोथ आउटलुक बनाए रखा है। मैनेजमेंट ने लोकल मैन्युफैक्चरिंग का विस्तार करने और EV मॉडल पेश करने का प्लान दोहराया है। विश्लेषकों का मानना है कि स्टॉक एक मजबूत लॉन्ग टर्म स्टोरी है, हालांकि निकट-भविष्य में प्रतिस्पर्धा ने शेयर लाभ को प्रभावित किया है।

Swiggy: फूड डिलीवरी बिजनेस बढ़ता जा रहा है, लेकिन इसका क्विक-कॉमर्स विंग Instamart अब भी गहरे घाटे में है, जिससे घाटा बढ़ता जा रहा है।

Ola Electric: Q4FY25 में इसका बाजार हिस्सा घटकर 32% रह गया, अब यह TVS और Bajaj से पीछे है। कुछ विश्लेषकों ने एग्जीक्यूशन की समस्या और आफ्टर-सेल्स जैसी चुनौती को गिरावट का कारण बताया है।

NTPC Green: यह कंपनी अपने रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स का विस्तार कर रही है। इसके लॉन्ग टर्म गोल्स भारत की स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन योजना से मेल खाते हैं। हालांकि, शॉर्ट टर्म ट्रिगर्स की कमी है, लेकिन ज्यादातर विश्लेषक इसके लॉन्ग टर्म आउटलुक को लेकर पॉजिटिव हैं।

वैल्यूएशन रीसेट हुआ है, लेकिन अभी भी सस्ता नहीं?

इन सभी अंडरपरफॉर्म करने वाले IPOs की एक समानता यह है कि इन्हें शेयर बाजार की तेजी वाले दौर में आक्रामक रूप से प्राइस किया गया था। दीपक जसानी का कहना है, “इन शेयरों पर सिर्फ हाल की गिरावट का असर ही नहीं है। ये पहले से ही अधिक ओवर-प्राइस थे। लॉक-इन अवधि के बाद की बिकवाली ने स्थिति को और बदतर बना दिया।”

Hyundai का मौजूदा वैल्यूएशन अब भी लिस्टेड ऑटो कंपनियों से अधिक है। वहीं Ola और Swiggy की प्राइसिंग को अभी भी ऊंचा माना जा रहा है, क्योंकि वे कैश बर्न कर रहे हैं और मुनाफे से दूर हैं। NTPC Green का वैल्यूएशन इतना खिंचा नहीं है, लेकिन इसके नियर टर्म में ग्रोथ की कहानी उतनी रोमांचक नहीं है।

ब्रोकरेज  क्या कह रहे हैं?

JM Financial का कहना है कि Hyundai का Q4FY25 EBITDA मार्जिन 14.1% आया, जो उनके अनुमान से 200 bps ऊपर था। इसकी वजह थी बेहतर प्रोडक्ट मिक्स, कॉस्ट कंट्रोल और हाई इंसेंटिव। JM Financial FY25–27 के बीच 11%/13% रेवेन्यू/ईपीएस CAGR की उम्मीद रखते हैं और मार्च 2027 तक ₹2,050 का टारगेट प्राइस बनाए हुए हैं।

HDFC Securities ने हाल ही में Swiggy को ‘Buy’ रेटिंग दी है और कहा कि पिछले 5 महीनों में ~50% की गिरावट के बाद वैल्यू उभर रही है। Instamart का घाटा अपेक्षाकृत सीमित रहा है और नए यूजर्स की संख्या में तेजी देखी गई है। वे FY27 के वैल्यूएशन पर ₹400 प्रति शेयर का टारगेट दे रहे हैं।

Nuvama के अनुसार NTPC का Q4FY25 PAT 27% YoY बढ़ा, सहयोगी कंपनियों और संयुक्त उपक्रमों के बेहतर प्रदर्शन से। हालांकि स्टैंडअलोन प्रदर्शन फ्लैट रहा। कंपनी के पास 34GW से अधिक निर्माणाधीन क्षमता है, जिसमें 14.6GW रिन्यूएबल प्रोजेक्ट्स शामिल हैं। वे NTPC Green को मौजूदा बाजार मूल्य से 30% डिस्काउंट पर वैल्यू करते हैं और ₹404 का टारगेट देते हैं।

IPO बाजार में आगे क्या?

अब निवेशक वैल्यूएशन को लेकर काफी सेंसिटिव हो गए हैं, खासकर रिटेल और HNI इन्वेस्टर। जसानी का कहना है, “ये निवेशक अक्सर ग्रे मार्केट ट्रेंड्स और हालिया लिस्टिंग हिस्ट्री पर निर्भर रहते हैं। जब मुश्किल हालात आते हैं, तो मांग तेजी से गायब हो सकती है।”

2025 की दूसरी छमाही में और IPO आने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन निवेशकों का मूड अब सतर्क है। उम्मीद है कि कंपनियां इस से सबक लेंगी और ऑफर प्राइस को ज्यादा रियलिस्टिक रखेंगी, ताकि निकट भविष्य की वैल्यू और लॉन्ग टर्म परफॉर्मेंस का संतुलन बना रहे।

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