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IndusInd Bank News: पूंजी बाजार नियामक सेबी ने इंडसइंड बैंक के पूर्व एमडी और सीईओ सुमंत कठपालिया (Sumant Kathpalia) और डिप्टी सीईओ अरुण खुराना समेत बैंक के पांच सीनियर एग्जीक्यूटिव्स को सिक्योरिटीज मार्केट में एंट्री पर बैन लगा दिया है। सेबी के अंतरिम आदेश के मुताबिक इन लोगों ने ऐसे समय में ट्रेडिंग की, जब इनके पास बैंक से जुड़ी ऐसी जानकारियां थी जो अभी सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं थी और इसका बैंक के शेयरों पर अच्छा-खासा दिख सकता था। सेबी के इनके बैंक खातों को भी जब्त कर दिया है। जांच में सामने आया कि इनके पास नवंबर 2023 से ही डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में गड़बड़ियों की जानकारी थी लेकिन आम लोगों को इसकी जानकारी मार्च 2025 में ही हो पाई।
यहां 28 मई की तारीख में जारी सेबी के अंतरिम आदेश से घटनाओं के बारे में सिलसिलेवार दिया जा रहा है जिसमें आम लोगों को 15 महीने तक अहम जानकारी से दूर रखा गया और उस पर सेबी के निष्कर्ष के बारे में भी बताया जा रहा है।
ऐसे-ऐसे बढ़ा मामला और सेबी ने निकाले ये निष्कर्ष
20 नवंबर, 2023: सीएफओ ने अरुण खुराना, सुशांत सौरव, रोहन जठन्ना समेत अन्य को ईमेल भेजा, “डेरिवेटिव अकाउंटिंग की एनालिसिस का असर अभी दिखना बाकी है। हर छह महीने में प्रोफॉर्मा IndAS रिपोर्टिंग में बड़ा असर आता है।” IndAS का मतलब इंडियन अकाउंटिंग स्टैंडर्ड्स है।
21 नवंबर, 2023: एक दिन पहले के मेल में सीएफओ ने कहा, “बैंक को प्रोफार्मा IndAS फाइनेंशियल स्टेटमेंट पेश करने की तैयारी करते समय हमने पहले ही केपीएमजी के साथ अभ्यास किया है। डेरिवेटिव अकाउंटिंग पर IndAS के प्रभाव के लिए पहले से ही छह महीने के आधार पर जानकारी तैयार की जा रही है।”
सेबी का निष्कर्ष: 21 नवंबर 2023 तक सीएफओ ने यह सुनिश्चित कर लिया था कि खामियों के चलते बैलेंस शीट पर कुछ प्रभाव पड़ेगा।
29 नवंबर, 2023: बैलेंस शीट लिक्विडिटी मैनेजमेंट के प्रमुख ने खुराना, सौरव, जथन्ना समेत अन्य लोगों को ईमेल किया, “हमें तत्काल नंबर्स की जरूरत है। कृपया सहायता करें क्योंकि मेरी टीम यहाँ जवाब की तलाश में जूझ रही है। जैसा कि बताया गया है, इस पर आज शाम एमडी के साथ चर्चा करने की जरूरत है।”
30 नवंबर, 2023: अकाउंट्स हेड ने सुशांत सौरव, अनिल राव और अन्य को ईमेल किया जिसमें डेरिवेटिव पोर्टफोलियो के अकाउंट बैलेंस में खामियों के चलते ₹1749.98 करोड़ के असर का जिक्र किया गया।
4 दिसंबर, 2023: तत्कालीन सीईओ सुमंत कठपालिया ने सीएफओ और अरुण खुराना को ईमेल भेजा, “हमें रिपोर्टिंग करने की जरूरत है। ऐसा लगता है कि इसका असर बहुत बड़ा असर है….”
सेबी का निष्कर्ष: 4 दिसंबर 2023 तक तत्कालीन सीईओ कठपालिया को खामियों के असर के बारे में जानकारी दी गई थी।
6-8 दिसंबर, 2023: कठपालिया और सीएफओ सहित बैंक के कई एंप्लॉयीज को भेजे गए ईमेल से पता चला कि ₹1,362 करोड़ का आंकड़ा खामियों के रूप में दिखाया गया था।
11 दिसंबर, 2023: बैलेंस शीट लिक्विडिटी मैनेजमेंट-जीएमजी ने अरुण खुराना को जो ईमेल भेजा, उसमें ₹1,572 करोड़ के असर की बात कही गई। यह फाइनल फिगर था।
16 दिसंबर, 2023: सीएफओ ने खुराना और कठपालिया को IndAS के मुताबिक फाइनल फिगर की जानकारी दी और कहा कि इसकी पुष्टि टीबीओ (ट्रेजरी बैक ऑफिस) के साथ की गई है। सीएफओ ने इस आंकड़े को सोमवार को आरबीआई के सामने पेश करने का प्रस्ताव दिया।
16 दिसंबर, 2023: कठपालिया ने सीएफओ और खुराना को ईमेल किया, “इसका मतलब यह होगा कि हमारा सीईटी 1 कम हो जाएगा। अगले वित्तीय वर्ष में इसका कितना प्रभाव होगा।” सीईटी 1 का मतलब कॉमन इक्विटी टियर 1 होता है जो टियर 1 कैपिटल का हिस्सा है और यह बैंक की वित्तीय मजबूती को दिखाता है।
17 दिसंबर, 2023: सीएफओ ने कठपालिया के सामने खामियों के निगेटिव असर के चलते कैपिटल टू रिस्क एसेट रेश्यो (CRAR) कितना आ जाएगा, इसका एक कैलकुलेशन पेश किया।
17 दिसंबर, 2023: कठपालिया ने खुराना और सीएफओ को ईमेल किया, “यह निवेशकों से हमारी बातचीत के विपरीत है। ऐसा लगता है कि हमें अगले साल की शुरुआत में बाजार में जाना चाहिए। यह बहुत गंभीर है। कृपया डेरिवेटिव पर इन कैलकुलेशंस को फिर से सत्यापित करें।”
सेबी का निष्कर्ष: 16 दिसंबर, 2023, 06 मार्च, 2024 और 05 मई, 2024 की तारीख वाले ईमेल के जरिए सितंबर 2023 तिमाही के लिए ₹1,572 करोड़, दिसंबर 2023 तिमाही के लिए ₹1,776.49 करोड़ और मार्च 2024 तिमाही के लिए ₹2,361.69 करोड़ की खामियों के आंकड़े इंडसइंड बैंक के एंप्लॉयीज को बताए गए। हालांकि स्टॉक एक्सचेंजों पर एक खुलासे के जरिए आम लोगों के लिए इसका खुलासा 10 मार्च, 2025 को ही किया गया था।
सेबी का निष्कर्ष: कठपालिया के 04 दिसंबर, 2023 और 17 दिसंबर, 2023 के ईमेल से देख सकते हैं कि खामियों का मुद्दा गंभीर था, और खामियों से जुड़ी UPSI (अनपब्लिश्ड प्राइस सेंसेटिव इंफॉर्मेशन) प्रभावी रूप से 04 दिसंबर, 2023 को या उससे पहले पैदा हुई थी। पहली नजर में ऐसा लग रहा है कि बैंक के सीनियर मैनेजमेंट के बीच इसकी जानकारी थी और सीईओ कठपालिया को खुद महसूस या उजागर किए गए मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए इस जानकारी को 04 दिसंबर, 2023 से ही यूपीएसआई की कैटेगरी में रख देना चाहिए था।
16 दिसंबर, 2023: खुराना ने ईमेल में बाहरी एजेंसी से वेरिफिकेशन का प्रस्ताव रखा।
17 जनवरी, 2024: सीएफओ ने ईमेल किया, “हम एक सलाहकार को नियुक्त कर रहे हैं जो डेरिवेटिव के मौजूदा अकाउंटिंग और सर्कुलर के तहत प्रस्तावित अकाउंटिंग का अध्ययन करेगा।”
21 फरवरी, 2024: केएमपीजी ने दिसंबर 2023 तिमाही के अंत तक खामियों के चलते ₹2,093 करोड़ के झटके का आंकड़ा दिया था।
सेबी का निष्कर्ष: पहली नजर में दिख रहा है कि बैंक के सीनियर मैनेजमेंट ने आंकड़ों को बाहरी एजेंसी से सत्यापित करवाने पर जोर दिया। शुरुआती जांच से पता चला है कि एक्सटर्नल ऑडिटर केपीएमजी ने 21 फरवरी, 2024 के ईमेल के जरिए 31 दिसंबर, 2023 तक बैंक को ₹2,093 करोड़ के झटके का आंकड़ा दिया था।
सेबी का निष्कर्ष: बैंक ने खामियों से जुड़े आंतरिक आंकड़ों को बाहरी एजेंसी यानी केपीएमजी से जनवरी-फरवरी 2024 तक सत्यापित करवाने की कवायद शुरू की थी। हालांकि इन आंकड़ों को 10 मार्च, 2025 तक एक्सचेंजों को नहीं भेजा गया और न ही बैंक ने 04 मार्च, 2025 तक यूपीएसआई की कैटेगरी में रखा।
10 मार्च, 2025: बैंक ने दिसंबर 2024 की नेटवर्थ (अनुमानित ₹1,529.88 करोड़) के 2.35% पर डेरिवेटिव खामियों का खुलासा किया।
10 मार्च, 2025: बैंक ने अंदरूनी जांच में जो तथ्य आए, उसकी स्वतंत्र तरीके से समीक्षा और सत्यापन के लिए एक बाहरी एजेंसी नियुक्त करने की जानकारी एक्सचेंजों को भेजी।
सेबी का निष्कर्ष: 04 दिसंबर, 2023 को या उससे पहले से ही यूपीएसआई था और खामियों को नियमित रूप से आरबीआई के सामने रखने का प्रस्ताव भी था, लेकिन यूपीएसआई के बारे में एक्सचेंजों को 10 मार्च, 2025 को ही बताया गया यानी उस तारीख से लगभग 15 महीने की देरी के बाद जब आईबीएल के सीनियर मैनेजमेंट को पहली बार खामियों और इसका बैंक के वित्तीय खातों/बैलेंस शीट पर पड़ने वाले इसके बड़े असर के बारे में पता चला।
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