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Gensol Engineering के प्रमोटरों को बड़ा झटका, DRT ने कंपनी की संपत्ति बेचने पर लगाई रोक – drt bars gensol from asset sale as sebi ed mca probe deepen

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Gensol Engineering के प्रमोटरों को डेट रिकवरी ट्राइब्यूनल (Debt Recovery Tribunal – DRT), दिल्ली से बड़ा झटका लगा है। ट्राइब्यूनल ने एक आदेश में कंपनी की सुरक्षित संपत्तियों को बेचने या ट्रांसफर करने पर रोक लगा दी है। यह आदेश सरकारी NBFC इंडियन रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (IREDA) की दायर याचिका पर 28 मई को जारी किया गया।

Gensol की प्रमुख संपत्तियों में वे इलेक्ट्रिक व्हीकल शामिल हैं, जिन्हें खरीदने के लिए IREDA और Power Finance Corporation (PFC) जैसे सरकारी एनबीएफसी ने कर्ज दिया था। DRT ने अदालत-नियुक्त अधिकारी को BluSmart Cabs को कब्जे में लेने का निर्देश भी दिया है, जिन्हें अलग-अलग ऋणदाताओं ने फाइनेंस किया था।

डीमैट-बैंक खातों की जानकारी मांगी

इसके साथ ही, डिपॉजिटरी संस्थानों NSDL और CDSL को निर्देश दिया गया है कि वे प्रमोटरों से संबंधित डीमैट और बैंक खातों की जानकारी दें। अगर कोई डीमैट खाता मौजूद हो, तो उसे फ्रीज कर उसके शेयरों की डिटेल ट्राइब्यूनल को सौंपे।

यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है, जब कंपनी के लेनदार कुल ₹510 करोड़ की बकाया राशि की वसूली के प्रयास कर रहे हैं।

SEBI की जांच और अंतरिम आदेश

इससे पहले 15 अप्रैल को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने Gensol और उसके प्रमोटरों के खिलाफ अंतरिम आदेश जारी करते हुए उन्हें पूंजी बाजार से प्रतिबंधित किया था और कंपनी की फॉरेंसिक ऑडिट के आदेश दिए थे।

SEBI की जांच में सामने आया है कि Gensol ने IREDA से ₹977 करोड़ और PFC से ₹663 करोड़ का ऋण लिया था। इसका इस्तेमाल 6,400 इलेक्ट्रिक गाड़ियों की खरीद में किया जाना था। हालांकि, रिकॉर्ड के अनुसार कंपनी ने केवल 4,704 गाड़ियां खरीदी। EV सप्लायर Go-Auto Private Limited ने भी SEBI को पुष्टि की कि उसने Gensol को ₹567.73 करोड़ में 4,704 व्हीकल बेचे।

इसके अलावा, SEBI लगभग ₹262 करोड़ की ऐसी कॉर्पोरेट धनराशि की भी जांच कर रहा है, जो कथित रूप से प्रमोटरों द्वारा डायवर्ट की गई। नियामक के अनुसार, इस रकम का इस्तेमाल लग्जरी संपत्तियों की खरीद जैसे निजी उद्देश्यों के लिए किया गया।

दूसरी जांच एजेंसियां भी सक्रिय

प्रवर्तन निदेशालय (ED) भी Gensol प्रमोटरों की कथित संलिप्तता की जांच कर रहा है, जिनके संबंध महादेव ऑनलाइन सट्टेबाजी घोटाले के आरोपी हरी शंकर टिबरवाल से बताए गए हैं। टिबरवाल के पास कंपनी में 1.37% हिस्सेदारी थी, जिसे ED ने अप्रैल में फ्रीज कर दिया था। साथ ही, कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) ने भी मामले की जांच शुरू कर दी है।

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