[ad_1]
अधिकांश भारतीय परिवार अपनी पुश्तैनी प्रॉपर्टी को अगली पीढ़ियों को सौंपते हैं। वे उसे सबसे लंबे समय तक चलने वाली संपत्ति के रूप में देखते हैं। प्रॉपर्टी स्टेबिलिटी, परंपरा और एकमुश्त पैसों के साधन के तौर पर देखी जाती है। किसी भी माता-पिता को ये लगता है कि वे घर या जमीन का टुकड़ा देकर अपने बच्चों के भविष्य को सुरक्षित कर रहे है या फिर उन्हें एक फाइनेंशियल बफर प्रदान कर रहे है। हालांकि वास्तव में ऐसा ही हो ये जरूरी नहीं होता। वर्तमान समय में परिवारों के बीच झगड़े की सबसे बड़ी वजह प्रॉपर्टी ही बन रही है। इसकी वजह से लोगों में एकदूसरे के प्रति द्वेष बढ़ता जा रहा है। आइए आपको बताते है विरासत के रूप में प्रॉपर्टी का ट्रांसफर कौन-कौन सी समस्याएं उत्पन्न कर सकता है।
रखरखाव का खर्च और कानूनी पेचीदगियां
पीढ़ी दर पीढ़ी प्रॉपर्टी का ट्रांसफर एक सर्वोत्तम विकल्प नहीं है जिसके पीछे की एक बड़ी वजह उसके रखरखाव की लागत और जटिलता है। यदि आपके बच्चे आपके समान शहर या देश में नहीं रहते हैं, तो विरासत में मिली प्रॉपर्टी को अच्छी स्थिति में रखना एक सिरदर्द है। प्रॉपर्टी टैक्स, मरम्मत बिल, किराएदार की समस्याएं, या सोसायटी के शुल्क से आपको नुकसान झेलना पड़ सकता है। अगर आपकी प्रॉपर्टी साझा में हो तो इन लागतों को कई उत्तराधिकारियों के बीच डिवाइड करना और भी मुश्किल है।
इसके अलावा, विरासत में मिली प्रॉपर्टी आमतौर आपके घर के वृद्ध जनों के नाम पर होती है या फिर उन पर कानूनी अड़चने होती है। नई पीढ़ी के अनुरूप उनके दस्तावेजों को अपडेट नहीं किया गया होता है। अधूरे म्यूटेशन रिकॉर्ड, अनसुलझे प्रॉपर्टी विवाद, उसके उत्तराधिकारियों को वर्षों तक के मुकदमेबाजी में फंसा सकती है। यानी गिफ्ट होने के बजाय, प्रॉपर्टी एक कानूनी अभिशाप है।
परिवार में प्रॉपर्टी के बंटवारें को लेकर विवाद
वर्तमान समय में रियल एस्टेट कटु विरासत विवादों का सबसे बड़ा केंद्र बनता जा रहा है। बैंक जमा या म्यूचुअल फंड जैसे परिसंपत्तियों के विपरीत, प्रॉपर्टी को इतनी आसानी से विभाजित नहीं किया जा सकता है। यदि एक से अधिक उत्तराधिकारी हैं, तो प्रॉपर्टी को बेचने, किराए पर देने या बनाए रखने को लेकर सहमति बनाना एक टेढ़ी खीर के समान है। यह कई मामलों में पारिवारिक झगड़ों और अदालती मुकदमेबाजी का कारण बनती है।
हमेशा मूल्यवान नहीं होता रियल एस्टेट
एक और भ्रम यह है कि रियल एस्टेट का मूल्य हमेशा बढ़ेगा। हालांकि ऐसा कुछ शहरी क्षेत्रों में संभव है, लेकिन कई इलाकों में में घर की कीमतें स्थिर या गिर भी गई है। शहरी विकास में नीतिगत बदलाव, बुनियादी ढांचा विकास, या बाजार की विकास क्षमता किसी भी प्रॉपर्टी को प्रभावित कर सकती है। यदि आपके बच्चों को प्रॉपर्टी की आवश्यकता नहीं है और वे इसे आसानी से बेच नहीं पाते हैं, तो यह लो-लिक्विडिटी और यील्ड वाली संपत्ति में बदल जाती है।
युवा पीढ़ी की महत्वाकांक्षाओं में बदलाव
वर्तमान युवा पीढ़ी अपनी करियर के अवसरों वाले शहरों में घर किराए पर लेना ज्यादा पसंद करती है, बजाय की विरासत के घरों में फंसे रहने के। एक गांव या शहर में एक घर इमोशनल तौर पर मूल्यवान हो सकता है लेकिन व्यावहारिक रूप में जरूरी नहीं की वो वैसा हो। इस परिदृश्य में वे शायद पैसे या वित्तीय निवेश को ज्यादा पसंद करेंगे, जो उपयोग में आसान और पोर्टेबल है। अधिकांश युवा पेशेवरों के लिए, विरासत में मिली प्रॉपर्टी एक निष्क्रिय संपत्ति बन जाती है जिसका वे न तो उपयोग करते हैं और न ही उससे लाभ कमाते हैं।
एस्टेट प्लानिंग में वैकल्पिक संभावनाओं की करें तलाश
अचल परिसंपत्तियों को छोड़ने के बजाय, विरासत के अन्य विकल्पों की भी तलाश करनी चाहिए। ऐसे विकल्प जिन्हें आसानी से डिवीजन और एक्सेस किया जा सके। म्यूचुअल फंड, जीवन बीमा, फिक्स्ड डिपॉजिट, या यहां तक कि एक हेल्थी आपातकालीन फंड भी कहीं अधिक फायदेमंद हो सकता है। वे संघर्षों से बचने और न्यूनतम कानूनी जटिलताओं के साथ परिसंपत्तियों के आसान ट्रांसफर को सुनिश्चित करने में मदद कर सकते हैं।
अपने बच्चों को प्रॉपर्टी सौंपना एक सुरक्षित और स्नेही कार्य जैसा लगता है, लेकिन यह समाधानों से अधिक समस्याएं पैदा कर सकता है। बदलती जीवनशैली, गतिशीलता और बाजार की स्थितियों के साथ, एक लचीली, समस्या से रहित विरासत योजना आपकी विरासत से आपके बच्चों के लाभों को सुरक्षित करने का एक बेहतर साधन हो सकती है।
[ad_2]
Source link