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वॉशिंगटन6 मिनट पहले
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अमेरिका के मैनहट्टन ट्रेड कोर्ट ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की ओर से लगाए गए टैरिफ के बड़े हिस्से पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। कोर्ट ने बुधवार (29 मई), को कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने अधिकारों से बाहर जाकर अमेरिका के ट्रेड पार्टनर्स से इंपोर्ट पर बड़े पैमाने पर टैरिफ लगा दिया है।
कोर्ट ने सरकार से इसपर 10 दिनों के भीतर जवाब देने को भी कहा है। द कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड ने कहा कि अमेरिकी संविधान संसद (कांग्रेस) को दूसरे देशों के साथ केवल व्यापार को रेगुलेट करने का विशेषाधिकार देता है। इसका मतलब यह नहीं कि राष्ट्रपति इकोनॉमी का हवाला देकर अपने इमरजेंसी पावर से कुछ भी करें।
मामले की सुनवाई करने वाले तीन जजों के पैनल ने कहा, ‘राष्ट्रपति टैरिफ को एक दबाव के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं, हम उनकी समझ और टैरिफ की प्रभावशीलता पर फैसला नहीं देते। राष्ट्रपति का यह प्रयोग गलत है इसलिए नहीं कि यह नासमझी या बेअसर है, बल्कि इसलिए कि यह फेडरल लॉ के खिलाफ है।’
3 अप्रैल को ट्रम्प ने दुनियाभर के कई देशों पर टैरिफ लगाया था
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 3 अप्रैल को देर रात भारत पर 26%, चीन पर 34%, यूरोपीय यूनियन पर 20%, साउथ कोरिया पर 25%, जापान पर 24%, वियतनाम पर 46% और ताइवान पर 32% टैरिफ (रेसिप्रोकल यानी जैसे को तैसा टैरिफ) लगाने का ऐलान किया था। अमेरिका ने करीब 60 देशों पर उनके टैरिफ की तुलना में आधा टैरिफ लगाने का फैसला किया था।

भारत पर टैरिफ को लेकर ट्रम्प ने कहा था,

भारत अमेरिका पर 52% तक टैरिफ लगाता है, इसलिए अमेरिका भारत पर 26% टैरिफ लगाएगा। अन्य देश हमसे जितना टैरिफ वसूल रहे, हम उनसे लगभग आधे टैरिफ लेंगे। इसलिए टैरिफ पूरी तरह से रेसिप्रोकल नहीं होंगे। मैं ऐसा कर सकता था, लेकिन यह बहुत से देशों के लिए कठिन होता। हम ऐसा नहीं करना चाहते थे।
टैरिफ क्या होता है?
टैरिफ दूसरे देश से आने वाले सामान पर लगाया जाने वाला टैक्स है। जो कंपनियां विदेशी सामान देश में लाती हैं, वे सरकार को ये टैक्स देती हैं। इसे एक उदाहरण से समझिए…
- टेस्ला का साइबर ट्रक अमेरिकी बाजार में करीब 90 लाख रुपए में बिकता है।
- अगर टैरिफ 100% है तो भारत में इसकी कीमत करीब 2 करोड़ हो जाएगी।
रेसिप्रोकल टैरिफ का मतलब क्या है?
रेसिप्रोकल का मतलब होता है- तराजू के दोनों पलड़े को बराबर कर देना। यानी एक तरफ 1 किलो भार है तो दूसरी तरफ भी एक किलो वजन रख कर बराबर कर देना।
ट्रम्प इसे ही बढ़ाने की बात कर रहे हैं। यानी भारत अगर कुछ चुनिंदा वस्तुओं पर100% टैरिफ लगाता है, तो अमेरिका भी उस तरह के प्रोडक्ट्स पर 100% टैरिफ लगाएगा।
ट्रम्प ने टैरिफ बढ़ाने का फैसला क्यों किया था?
टैरिफ ट्रम्प के इकोनॉमिक प्लान्स का हिस्सा था। उनका कहना था कि टैरिफ से अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार बढ़ेगा। टैक्स रेवेन्यू बढ़ेगा और इकोनॉमी बढ़ेगी।
2024 में अमेरिका में आयात का 40% से अधिक हिस्सा चीन, मैक्सिको और कनाडा से आए सामानों का था। कम टैरिफ से अमेरिका को व्यापार घाटा हो रहा है।
2023 में अमेरिका को चीन से 30.2%, मेक्सिको से 19% और कनाडा से 14.5% व्यापार घाटा हुआ। कुल मिलाकर ये तीनों देश 2023 में अमेरिका के 670 अरब डॉलर यानी करीब 40 लाख करोड़ रुपए के व्यापार घाटे के लिए जिम्मेदार हैं।
ट्रम्प सरकार इसी घाटे को कम करना चाहती थी। इसलिए 4 मार्च 2025 से मेक्सिको और कनाडा पर 25% टैरिफ लगाया गया। चीन पर भी अतिरिक्त 10% टैरिफ लागू किया गया।
कम टैरिफ से अमेरिका को कैसे घाटा हो रहा था, इसे एक उदाहरण से समझते हैं। हार्ले-डेविडसन समेत यूएस मेड मोटरसाइकिलों पर भारत में 100% टैरिफ है, लेकिन भारत से अमेरिका में एक्सपोर्ट होने वाली गाड़ियों पर इसके मुकाबले काफी कम टैरिफ है।
इससे अमेरिका को 2 नुकसान है…
- पहला- गाड़ी महंगी होने के चलते कंपनी कभी भी भारत में अपना बिजनेस नहीं बढ़ा पाएगी।
- दूसरा- कम एक्सपोर्ट से व्यापार घटा बढ़ता है। यानी, इकोनॉमी धीमी रफ्तार से बढ़ेगी।
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