[ad_1]
SpaceX Starship Launch Fail: स्पेसएक्स के स्टारशिप प्रोग्राम को बुधवार (28 मई) को एक बड़ा झटका लगा। अमेरिकी अरबपति एलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स की स्टारशिप रॉकेट की 9वीं टेस्ट मिशन भी विफल हो गई है। लॉन्चिंग के करीब 30 मिनट बाद ही स्टारशिप पर से नियंत्रण खो गया। इसके बाद रॉकेट हिंद महासागर के ऊपर पृथ्वी के वायुमंडल में लौटते वक्त दुर्घटनाग्रस्त हो गया। मिशन में तब परेशानी आई जब उपग्रहों को तैनात करने के बजाय स्टारशिप अनियंत्रित रूप से घूमने लगा। स्पेसएक्स इंजीनियरों ने फ्लाइट पर नियंत्रण खो दिया, जो अंततः कुछ ही मिनटों बाद हिंद महासागर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
दुनिया के सबसे ताकतवर रॉकेट स्टारशिप की 9वी टेस्ट फ्लाइट टेक्सास के बोका चिका से लॉन्च की गई थी। इसे एलॉन मस्क के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। पहले भी उनकी स्पेस कंपनी की टेस्ट फ्लाइट असफल हो चुकी हैं। रॉयटर्स न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, अरबपति मस्क की कमर्शिलय अंतरिक्ष कंपनी स्पेसएक्स ने टेक्सास से अंतरिक्ष में मानव रहित रॉकेट वाहन के लॉन्च होने के 30 मिनट बाद अपनी नौवीं स्टारशिप टेस्ट फ्लाइट पर नियंत्रण खो दिया।
रॉयटर्स के अनुसार, बुधवार को अंतरिक्ष में अनियंत्रित घूमने के कारण ऑनबोर्ड ईंधन रिसाव के बाद मेगा-रॉकेट ने तय समय से पहले ही वायुमंडल में प्रवेश कर लिया। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में स्पेसएक्स ने कहा कि स्टारशिप ने “तेजी से अनिर्धारित विघटन” का अनुभव किया, जिसका अर्थ है कि यह फट गया। कंपनी ने कहा, “इस तरह के टेस्ट से सफलता हमें जो कुछ भी सीखने को मिलता है। आज का परीक्षण हमें स्टारशिप की विश्वसनीयता को बेहतर बनाने में मदद करेगा क्योंकि स्पेसएक्स जीवन को आसान बनाना चाहता है।”
रिपोर्ट के अनुसार, नियंत्रण खोने से पहले 403-फुट (123-मीटर) रॉकेट पिछले टेस्ट के दौरान विफलताओं के प्वाइंट से आगे निकल गया। इससे हले 6 मार्च को उड़ान भरने के तुरंत बाद स्पेसएक्स स्टारशिप के विस्फोट के बाद हुआ है। स्टारशिप के जरिए एलॉन मस्क की कोशिश चांद-मंगल पर लोगों को बसाने के सपने को पूरा करने की है। इस मिशन का नाम ‘रोड टु मेकिंग लाइफ मल्टीप्लैनेरी’ रखा गया है।
मस्क ने सोमवार को कहा था कि स्टारशिप मंगल ग्रह की यात्रा 6 महीने में कर सकता है। जबकि पहले यह सोचा जा रहा था कि इसमें कम से कम 10 साल लगेंगे। नासा स्टारशिप पर बारीकी से नजर रख रहा है। यह फ्लाइट आने वाले वर्षों में आर्टेमिस कार्यक्रम की चंद्र लैंडिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला है।
[ad_2]
Source link