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तेहरान7 मिनट पहले
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शहबाज शरीफ ने ईरान में राष्ट्रपति पजशकियान और सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह खामेनेई से मुलाकात की।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सोमवार को कश्मीर और जल सुरक्षा जैसे मुद्दों पर बातचीत की इच्छा जताई।
शरीफ ईरान दौरे पर हैं। यहां ईरानी राष्ट्रपति मसूद पजशकियान के साथ तेहरान में जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने यह बात कही।
शरीफ ने भारत के साथ सैन्य संघर्ष के दौरान ईरान के समर्थन के लिए पजशकियान का आभार जताया। उन्होंने जोर देकर कहा कि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रिश्ते हैं।
पाकिस्तानी पीएम 25 मई से 30 मई तक तुर्किये, ईरान, अजरबैजान और ताजिकिस्तान देशों के दौरे पर हैं। यहां पर भारत के साथ हुए तनाव को लेकर पाकिस्तान के पक्ष रखेंगे।
शरीफ 29-30 मई को ताजिकिस्तान की राजधानी दुशान्बे में ग्लेशियर्स पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भी भाग लेंगे।

शरीफ को पाकिस्तान में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।

शहबाज शरीफ ईरानी डेलिगेशन के साथ बातचीत करते हुए। इस दौरान उनके साथ आर्मी चीफ असीम मुनीर और डिप्टी पीएम इशाक डार भी मौजूद थे।

शहबाज शरीफ ने ईरानी राष्ट्रपति मसूद पजशकियान के साथ तेहरान में जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस की।
शरीफ बोले- सिंधु नदी से जुड़े मुद्दों पर बात करने के लिए तैयार
शरीफ ने कहा कि हम शांति चाहते हैं और इसके लिए बातचीत को तैयार है। हम कश्मीर समेत अपने सभी मुद्दों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के प्रस्ताव के मुताबिक हल करेंगे।
हम अपने पड़ोसी के साथ सिंधु नदी से जुड़े मुद्दों पर शांति से बात करने के लिए तैयार हैं। हम व्यापार को बढ़ावा देने और आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए भी बात करने को तैयार हैं, बशर्ते वे (भारत) गंभीर हों।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शरीफ ने ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह खामेनेई को भारत के साथ हाल के संघर्ष के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान हमेशा चाहता है कि क्षेत्र में शांति बनी रहे, जिससे आर्थिक विकास हो।

शरीफ ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह खामेनेई से भी मिले। इस दौरान मसूद पजशकियान भी उनके साथ मौजूद थे।
पाकिस्तानी सेना प्रमुख और डिप्टी पीएम भी ईरान के पहुंचे
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शरीफ के साथ उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार, सेना प्रमुख आसिम मुनीर, गृह मंत्री मोहसिन रजा नकवी, सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार भी ईरान पहुंचे हैं।
इससे पहले शरीफ ने रविवार देर रात इस्तांबुल में तुर्किये के राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोगन से मुलाकात की। इस दौरान शहबाज ने भारत के खिलाफ समर्थन देने के लिए तुर्किये का शुक्रिया अदा किया।
पहलगाम हमले के बाद भारत ने रोका था सिंधु जल समझौता
22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में 5 आतंकियों ने 26 टूरिस्ट्स की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके अगले दिन PM नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए भारत ने 5 बड़े फैसले लिए थे।
इसमें 65 साल पुरानी सिंधु जल संधि को रोका गया था। अटारी चेक पोस्ट बंद कर दिया गया था। वीजा बंद कर दिया गया और उच्चायुक्तों को हटा दिया था।
इसके बाद 7 मई को भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान में मौजूद कई आतंकी ठिकानों को एयर स्ट्राइक करके तबाह कर दिया था। दोनों देशों में 4 दिन तक संघर्ष चला था, जिसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने 10 मई को सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए सीजफायर की जानकारी दी थी।

भारत-पाकिस्तान के बीच का सिंधु जल समझौता क्या है?
सिंधु नदी प्रणाली में कुल 6 नदियां हैं- सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज। इनके किनारे का इलाका करीब 11.2 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इसमें 47% जमीन पाकिस्तान, 39% जमीन भारत, 8% जमीन चीन और 6% जमीन अफगानिस्तान में है। इन सभी देशों के करीब 30 करोड़ लोग इन इलाकों में रहते हैं।
1947 में भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के पहले से ही भारत के पंजाब और पाकिस्तान के सिंध प्रांत के बीच नदियों के पानी के बंटवारे का झगड़ा शुरू हो गया था। 1947 में भारत और पाक के इंजीनियरों के बीच ‘स्टैंडस्टिल समझौता’ हुआ। इसके तहत दो मुख्य नहरों से पाकिस्तान को पानी मिलता रहा। ये समझौता 31 मार्च 1948 तक चला।
1 अप्रैल 1948 को जब समझौता लागू नहीं रहा तो भारत ने दोनों नहरों का पानी रोक दिया। इससे पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की 17 लाख एकड़ जमीन पर खेती बर्बाद हो गई। दोबारा हुए समझौते में भारत पानी देने को राजी हो गया।
इसके बाद 1951 से लेकर 1960 तक वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में भारत पाकिस्तान में पानी के बंटवारे को लेकर बातचीत चली और आखिरकार 19 सितंबर 1960 को कराची में भारत के PM नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच दस्तखत हुए। इसे इंडस वाटर ट्रीटी या सिंधु जल संधि कहा जाता है।

सिंधु जल समझौता स्थगित करने से पाकिस्तान पर असर
- पाकिस्तान में खेती की 90% जमीन यानी 4.7 करोड़ एकड़ एरिया में सिंचाई के लिए पानी सिंधु नदी प्रणाली से मिलता है। पाकिस्तान की नेशनल इनकम में एग्रीकल्चर सेक्टर की हिस्सेदारी 23% है और इससे 68% ग्रामीण पाकिस्तानियों की जीविका चलती है। ऐसे में पाकिस्तान में आम लोगों के साथ-साथ वहां की बेहाल अर्थव्यवस्था और बदतर हो सकती है
- पाकिस्तान के मंगल और तारबेला हाइड्रोपावर डैम को पानी नहीं मिल पाएगा। इससे पाकिस्तान के बिजली उत्पादन में 30% से 50% तक की कमी आ सकती है। साथ ही औद्योगिक उत्पादन और रोजगार पर असर पड़ेगा।

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