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Groww IPO: ऑनलाइन इंवेस्टमेंट प्लेटफॉर्म ग्रो ने बाजार नियामक सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) के पास आईपीओ का ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) फाइल किया है। इस आईपीओ के बार 25 मई को पब्लिक नोटिस से खुलासा हुआ है। यह आईपीओ 70 करोड़ डॉलर से 100 करोड़ डॉलर तक का हो सकता है। इस आईपीओ के कागजात गोपनीय तरीके से सेबी के पास फाइल किए गए हैं यानी कि अधिक डिटेल्स सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं हो पाई है। इसके तहत ग्रो के 2 रुपये की फेस वैल्यू वाले शेयरों की बीएसई और एनएसई, दोनों पर एंट्री होगी।
Groww IPO से जुड़ी डिटेल्स
ग्रो के लिस्टिंग की तैयारी हो रही है और सेबी के पास जो ड्राफ्ट फाइल हुआ है, वह ग्रो की रजिस्टर्ड कॉरपोरेट एंटिटी बिलियनब्रेन्स गैरेज वेंचर्स लिमिटेड (Billionbrains Garage Ventures Ltd) के तहत हुई है। हालांकि पब्लिक नोटिस में कहना है कि प्री-फाइल्ड डीआरएचपी को फाइल करने का मतलब यह नहीं है कि कंपनी आईपीओ लाएगी ही। कंपनी ने सेबी ICDR रेगुलेशंस के रेगुलेशन 59सी(5) के तहत आईपीओ का ड्राफ्ट फाइल किया है जिसके तहत कंपनियों को औपचारिक ड्राफ्ट से पहले गोपनीय फाइलिंग की मंजूरी मिलती है। टेक कंपनियां तेजी से इसे अपना रही हैं जिससे पब्लिक फाइलिंग से पहले उन्हें रेगुलेटरी फीडबैक मिल जाता है।
लिस्टिंग से पहले सिंगापुर की सोवरेन वेल्थ फंड जीआईसी ने कॉम्पटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (GIC) से एक स्पेशल पर्पत वेईकल विग्गो इंवेस्टमेंट्स के जरिए ग्रो में 2.14 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने की मंजूरी मांगी है। यह निवेश प्री-आईपीओ राउंड का हिस्सा है और यह 25-30 करोड़ डॉलर का हो सकता है। इसमें जीआईसी करीब 15 करोड़ डॉलर डाल सकती है। प्री-आईपीओ राउंड में कंपनी के मौजूदा निवेशक टाइगर ग्लोबल भी हिस्सा ले सकता है।
कैसी है कारोबारी सेहत?
वर्ष 2016 में बनी ऑनलाइन इंवेस्टमेंट प्लेटफॉर्म ग्रो में टाइगर ग्लोबल (Tiger Global), पीक XV (पूर्व नाम सिकोईया कैपिटल इंडिया), रिबिट कैपिटल (Ribbit Capital), और वाई कॉम्बिनेटर (Y Combinator) ने पैसे लगाए हुए हैं। ग्रो के वित्तीय सेहत की बात करें तो वित्त वर्ष 2024 में इसे 3145 करोड़ रुपये का ऑपरेटिंग रेवेन्यू हासिल हुआ था लेकिन इस दौरान इसे 805 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा भी हुआ था। हालांकि यह घाटा इसे अमेरिका से भारत में रिवर्स फ्लिपिंग के चलते टैक्स के एकमुश्त पेमेंट के चलते हुआ था।
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