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UPS: केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों के लिए एक बड़ी सर्विस शुरू की है। कर्मचारी स्वयं कैलकुलेट कर सकेंगे कि उन्हें NPS और UPS में उनके योगदान के हिसाब से कितनी पेंशन मिलेगी। NPS ट्रस्ट ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) कैलकुलेटर लॉन्च किया है, जो ऑनलाइन माध्यम से कर्मचारियों को एनपीएस यानी नेशनल पेंशन सिस्टम और नयी UPS स्कीम के तहत अनुमानित पेंशन की तुलना करके समझने में मदद करेगा। यह कैलकुलेटर कर्मचारियों को कुछ बुनियादी जानकारियां भरने पर दोनों स्कीमों के तहत अनुमानित मंथली पेंशन को साथ-साथ दिखाता है। इससे उन्हें अपने लिए सही पेंशन विकल्प चुनने में मदद मिलेगी।
क्या है यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS)?
UPS केंद्र सरकार की शुरू की गई एक ऑप्शनल पेंशन योजना है, जिसमें गारंटीड मंथली पेंशन के साथ रिटायरमेंट पर एक साथ पैसा मिलता है। यह स्कीम अब एनपीएस के विकल्प के रूप में उपलब्ध है और इसका मकसद कर्मचारियों को अधिक सुरक्षित और तय रिटायरमेंट का फायदा देना है।
UPS स्कीम कैसे काम करती है?
कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी और डीए का 10% योगदान करते हैं। सरकार भी उतनी ही अमाउंट योगदान करती है। यह पैसा कर्मचारी की पसंद के अनुसार डिफॉल्ट स्कीम या प्राइवेट पेंशन फंड मैनेजर (PFM) के जरिए निवेश किया जाता है। यदि कर्मचारी की सर्विस 25 साल से अधिक रही है, तो उन्हें अंतिम 12 महीनों की औसत बेसिक सैलरी का 50% पेंशन के रूप में मिलेगा। 10 से 25 सालों की सर्विस के लिए अनुपातिक पेंशन दी जाएगी। कम से कम 10 सालों की सर्विस पूरी करने वालों को 10,000 रुपये मंथली की न्यूनतम गारंटीड पेंशन मिलेगी।
परिवार को भी मिलेगी सुरक्षा
अगर पेंशनधारी की मृत्यु हो जाती है, तो उनके जीवनसाथी को 60% पेंशन मिलती रहेगी। इससे परिवार की आर्थिक सुरक्षा तय होती है।
रिटायरमेंट पर SWP की तरह पेमेंट
UPS स्कीम में रिटायरमेंट के बाद पेंशन पेमेंट म्यूचुअल फंड की SWP यानी सिस्टमेटिक विदड्रॉवल प्लान की तरह किया जाएगा। यदि पेंशन फंड खत्म हो जाता है और पेंशनधारी या उनके जीवनसाथी जीवित हैं, तो सरकार एक कॉमन पूल से पेमेंट जारी रखेगी।
UPS कैलकुलेटर क्यों है जरूरी?
यह कैलकुलेटर केंद्रीय कर्मचारियों को एनपीएस और UPS के तहत अनुमानित पेंशन की तुलना करने की सुविधा देता है, जिससे वे अपनी जरूरतों के अनुसार सही स्कीम चुन सकते हैं। इससे रिटायरमेंट प्लानिंग अब और आसान और समझदारी भरी बन जाएगी। फिलहाल UPS सिर्फ केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए उपलब्ध है। राज्य सरकारें चाहें तो इसे अपने कर्मचारियों के लिए भी लागू कर सकती हैं।
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