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Stock Market Crash: भारतीय शेयर बाजारों में आज 20 मई को लगातार तीसरे दिन तगड़ी गिरावट देखने को मिली। कमजोर ग्लोबल संकेतों और विदेशी निवेशकों की निकासी के चलते मार्केट का सेंटीमेंट कमजोर हुआ। हरे निशान में खुलने के बाद सेंसेक्स अपने दिन के हाई से 800 अंकों से अधिक गिर गया। वहीं निफ्टी लुढ़ककर 24,800 के नीचे चला गया। दोपहर 1.30 बजे के करीब, सेंसेक्स 604.57 अंक या 0.74 फीसदी टूटकर 81,454.85 अंक पर कारोबार कर रहा था। वहीं निफ्टी भी 167 अंक की गिरावट के साथ 24,778.45 के स्तर पर कारोबार कर रहा था।
आज के कारोबार के दौरान सबसे अधिक गिरावट फाइनेंशियल और ऑटो कंपनियों के शेयरों में देखने को मिली। वहीं निफ्टी पर आयशर मोटर्स, हीरो मोटोकॉर्प, मारुति सुजुकी, सिप्ला और श्रीराम फाइनेंस के शेयर टॉप लूजर्स में शामिल थे।
1. कमजोर ग्लोबल संकेत
वॉल स्ट्रीट फ्यूचर्स में कमजोरी के चलते मंगलवार को अधिकतर एशियाई बाजार लाल निशान में रहे। साउथ कोरिया का कॉस्पी में गिरावट देखी गई। वहीं अमेरिकी फेडरल रिजर्व की आक्रामक टिप्पणी के कारण यूएस फ्यूचर्स ने भी नरम शुरुआत का संकेत दिया। अटलांटा फेड के अध्यक्ष राफेल बोस्टिक ने कहा कि उन्हें 2025 में केवल एक बार ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद है, जो महंगाई के ऊंचे स्तर पर बने रहने का संकेत देता है।
2. विदेशी निवेशकों की बिकवाली
विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने सोमवार को भारतीय शेयर बाजार से 525.95 करोड़ रुपये की निकासी की। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट, वीके विजयकुमार ने बताया कि बाजार का वैल्यूएशन पहले से ही खिंचा हुआ है, ऐसे में यह कंसॉलिडेशन के दौर में प्रवेश कर सकता है। उन्होंने कहा, “ऊंचा वैल्यूएशन आगे तेजी को सीमित कर सकता है, जो संस्थागत बिकवाली को हर उछाल पर बिकवाली के प्रेरित कर सकता है।”
3. जापानी बॉन्ड में तेज गिरावट
जापान के सरकारी बॉन्ड की यील्ड में मंगलवार की कमजोर नीलामी के बाद उछाल आया, जिससे देश की राजकोषीय स्थिति को लेकर नई चिंताएं पैदा हो गई हैं। जापान के 20 साल के बॉन्ड की यील्ड साल 2000 के बाद के अपने सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई, जबकि 30 साल के बॉन्ड की यील्ड अपने रिकॉर्ड शिखर पर पहुंच गई। एनालिस्ट्स ने बताया कि जापानी बॉन्ड में बिकवाली ने उधार लागत बढ़ा दी है और जिससे ग्लोबल अनिश्चितता को बढ़ावा मिला है। इससे शेयर बाजारों के सेंटीमेंट प्रभावित हुए हैं।
4. भारत-अमेरिका ट्रेड डील को लेकर अनिश्चितता
कॉमर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल की चार दिवसीय अमेरिका यात्रा मंगलवार को पूरी हुई। इसमें दोनों पक्ष इस महीने के अंत में अमेरिकी टैरिफ के लागू होने से पहले व्यापार समझौते पर सहमित बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
5. ग्लोबल ट्रेड को लेकर बढ़ा नया तनाव
अमेरिका के ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने हाल ही में व्यापारिक साझेदार देशों पर टैरिफ बढ़ाने की संभावना के बारे में चेतावनी दी थी। मार्केट एनालिस्ट्स का कहना है कि इस तरह का कोई भी कदम ग्लोबल मंदी की आशंका को फिर से बढ़ा सकती है और जोखिम वाली संपत्तियों में तेज अस्थिरता देखने को मिल सकती है।
6. रुपये में कमजोरी
शुरुआती कारोबार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 13 पैसे गिरकर 85.55 रुपये के स्तर आ गया, जिसकी वजह शेयर बाजार में कमजोरी और विदेशी फंड की लगातार निकासी रही। कारोबारियों ने बताया कि अमेरिकी डॉलर की मजबूती के पीछे मुख्य वजह अमेरिका के 10 साल के बॉन्ड यील्ड में उछाल रही, जिससे रुपये समेत बाकी इमर्जिंग करेंसी पर दबाव बढ़ा।
7. मूडीज ने अमेरिका के सॉवेरन डेट का आउटलुक घटाया
रेटिंग एजेंसी मूडीज (Moody’s) ने लॉन्गटर्म फिस्कल डिस्प्लिन से जुड़ी चिंताओं का हवाला देते हुए अमेरिका के सॉवरेन डेट को लेकर अपना आउटलुक घटा दिया है। हालांकि इससे कोई तत्काल खतरा नहीं है, लेकिन इस कदम ने ग्लोबल स्तर सेंटीमेंट को बिगाड़ने में अहम भूमिका निभाई है। वीके विजयकुमार ने कहा, “इस डाउनग्रेड ने वित्तीय बाजारों में बेचैनी की लहर पैदा कर दी है।” उन्होंने कहा कि बढ़ती अनिश्चितता के बीच निवेशक सतर्क हो रहे हैं।”
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