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सरकार ने स्टॉक और कमोडिटी मार्केट के ब्रोकर्स के लिए नियमों में बदलाव किया है। इसका मकसद उनके लिए कंप्लायंस को आसान बनाना है। इसके लिए फाइनेंस मिनिस्ट्री के तहत आने वाले डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स (डीईए) ने सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट्स (रेगुलेशन) रूल्स, 1957 में बदलाव किया है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि किसी ब्रोकर की तरफ से किया गया किसी निवेश को बिजनेस एक्टिविटी नहीं माना जाएगा, जब तक कि इस निवेश में क्लाइंट्स का फंड्स या सिक्योरिटीज शामिल नहीं हो या यह ब्रोकर के लिए फाइनेंशियल लायबिलिटी नहीं हो।
स्टॉक और कमोडिटी ब्रोकर्स को काम करने में आसानी होगी
एक्सपर्ट्स ने इस बदलाव का स्वागत किया है। उनका कहना है कि नियमों में बदलाव से स्थिति स्पष्ट हुई है। इससे ब्रोकर्स को कामकाज करने में आसानी होगी। उनके लिए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस बढ़ेगा। दरअसल, SCRR के रूल 8 में किसी व्यक्ति के स्टॉक एक्सचेंज का मेंबर चुने जाने या मेंबर बने रहने के लिए क्वालिफिकेशंस (योग्यता) तय किया गया है। DEA ने इस बारे में सितंबर 2024 में एक डिस्कशन पेपर पेश किया था। इसमें एससीआरआर रूल्स में संभावित बदलाव की जरूरत के बारे में बताया गया था।
सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट्स (रेगुलेशन) रूल्स की कमी दूर हुई
डीईए ने डिस्कशन पेपर में कहा था कि रूल 8 में ‘किसी बिजनेस’ का उल्लेख है। लेकिन, इस बारे में साफ तौर पर कुछ नहीं कहा गया है और इसे स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया है। इसलिए इसके अलग-अलग मतलब निकाले जा सकते हैं। अब नियमों में संसोधन के बाद यह कमी दूर कर दी गई है। इसके लिए सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट्स (रेगुलेशन) रूल्स, 1957 (SCRR, 1957) में रूल 8 में एक नया प्रोविजन शामिल किया गया है।
नियमों में बदलाव से ब्रोकर्स के कामकाज में पारदर्शिता बढ़ेगी
सरकार ने यह बदलाव डिसक्शन पेपर पर मामले से जुड़े लोगों की फीडबैक मिलने के बाद किया है। सरकार की कोशिश स्टॉक एक्सचेंज से जुड़े नियमों को आसान और स्पष्ट बनाना है। सरकार का मानना है कि इससे फाइनेंशियल सेक्टर में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस बढ़ेगा। इससे इंडिया में कैपिटल मार्केट्स के विकास में मार्केट इंटरमीडियरीज की दिलचस्पी बढ़ेगी। इससे कामकाज में पारदर्शिता आएगी।
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