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शेयर बाजार में बन गया है बुलबुला? एक्सपर्ट्स ने दी चेतावनी- “आसान नहीं होगा इससे निकलना” – p krishnan of spark asia impact managers warns stock market bubble says there are no easy exits

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शेयर बाजार में पिछले 3 महीनों से लगातार तेजी जारी है। कई स्टॉक्स की कीमतें अपने ऑल-टाइम हाई के करीब पहुंच गई हैं। लेकिन क्या ये रैली हकीकत पर टिकी है, या फिर शेयर बाजार एक बुलबुले की तरफ बढ़ रहा है जो किसी भी वक्त फूट सकता है? स्पार्क एशिया इम्पैक्ट मैनेजर्स के एमडी और चीफ इनवेस्टमेंट अफसर (इक्विटी एसेट मैनेजमेंट) पी कृष्णनन ने बाजार के बुलबुले को लेकर बड़ी चेतावनी दी है। पी कृष्णनन का मानना है कि कई मामलों में मार्केट में यह तेजी गैर-जरूरी लगती है। शेयर मार्केट में बुलबुला बना हुआ है, जिसे लो-क्वालिटी शेयरों से हवा मिल रही है। इसके चलते बाजार में भारी उतार-चढ़ाव की संभावना है, और इससे निकलना आसान नहीं होगा।

स्पार्क एशिया इम्पैक्ट मैनेजर्स के पी कृष्णनन ने मनीकंट्रोल को दिए एक इंटरव्यू में स्टॉक मार्केट को लेकर कुछ जरूरी बातें की। पी कृष्षण ने कहा कि मार्केट में जो हालिया तेजी आई है, उसकी बुनियाद काफी कमजोर है। पी कृष्णनन ने कहा भारत में सबसे बड़ी समस्या महंगे वैल्यूएशन्स की है। यानी स्टॉक्स की कीमतें इतनी ऊंची हैं कि उन्हें जायज ठहराना मुश्किल होता जा रहा है।

उन्होंने कहा कि निवेशक इस तथ्य को मानने को तैयार नहीं हैं कि शेयरों की मौजूदा कीमतें काफी ऊंची हो चुकी हैं। बाजार में फंड्स अब भी आ रहे हैं, लेकिन रिस्क बहुत बढ़ चुका है। पिछले 15 सालों में ब्याज दरें कम रहने के चलते शेयर बाजारों में वैल्यूएशन बढ़ा था, लेकिन अब जब ग्लोबल लेवल पर ब्याज दरें ऊपर हैं, तो इसका उसका उल्टा असर होना तय है।

पी कृष्षणन ने कहा कि मार्केट में इस समय वैल्यूएशन को सही ठहराने वाली कई नई थ्योरी आ गई है, लेकिन जमीन खिसक चुकी है। यहां तक कि कमजोर से कमजोर मोमेंटम को भी पकड़ने की होड़ मची हुई है। पी कृष्णनन ने कहा कि इसके पीछे कारण यह है कि मार्केट में फंड फ्लो काफी मजबूत बना हुआ है, लोगों के पास निवेश के दूसरे अच्छे साधनों की किल्लत है। साथ ही लोगों के मन में अभी कोविड के बाद दिखाई दिए रिटर्न का लाचल बना हुआ है, जिसके चलते वे सिंगल डिजिट में हाई रिटर्न को ही अच्छा रिटर्न मानने से इनकार कर रहे हैं।

पी कृष्णन ने साफ तौर पर कहा कि बाजार के कई हिस्से, खासकर महंगे स्टॉक्स, या तो धीरे-धीरे ढहने की ओर बढ़ रहे हैं या उसके करीब हैं। यह कहना मुश्किल है कि इनमें कोई नाटकीय गिरावट कब आएगी, लेकिन यह जरूर तय है कि जोखिम बढ़ गया है।

शेयर बाजार से यह बुलबुला कब तक हटेगा? पी कृष्णन ने इस सवाल पर कहा कि जब तक वैल्यूएशन यानी स्टॉक्स की कीमतें वाजिब तर्कसंगत रूप से नहीं गिरतीं, तब तक यह बुलबुला नहीं हटेगा। उन्होंने कहा कि कंपनियों की मौजूदा अर्निंग्स ग्रोथ इस ऊंचे वैल्यूशएन को जायज ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं है।

पी कृष्णन ने कहा कि ब्रॉडर मार्केट्स, यानी स्मॉलकैप और मिडकैप शेयरों में जोखिम और भी अधिक है। कई ऐसे स्टॉक्स हैं जिनकी कमाई या तो बिल्कुल नहीं है, या फिर इतनी कमजोर है कि मौजूदा वैल्यूएशन को जस्टिफाई नहीं कर सकती। कुछ कंपनियां शायद इस गिरावट से बच जाएं, लेकिन ज्यादातर निवेशकों के लिए जोखिम काफी ज्यादा है।

अब सवाल उठता है कि क्या साल के बाकी महीनों में शेयर बाजार स्थिर रहेगा, या फिर साल के अंत तक 15% रिटर्न देने की उम्मीद की जा सकती है?

इस सवाल पर पी कृष्णन ने कहा कि शेयर बाजार अब संभावित रूप से कंसॉलिडेट यानी एक सीमित दायरे में कारोबार करने की दिशा में जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ के मुकाबले मार्केट में ज्यादा तेजी आती है तो इससे रिस्क बढ़ेगा। इसके संकेत दिख रहे हैं। पी कृष्णन के शब्दों में कहें तो “The writing is on the wall.” यानी संकेत साफ हैं। जोखिम बढ़ रहा है, और निवेशकों को अब सावधानी से कदम बढ़ाने की जरूरत है।

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