[ad_1]
Conjunctivitis: मानसून आते ही आंखों में होने वाली एक आम समस्या कंजंक्टिवाइटिस या ‘गुलाबी आंख’ के मामले बढ़ने लगते हैं। मानसून के मौसम में नमी, एलर्जी और किसी के संपर्क में आने से इस संक्रमण के फैलने का जोखिम बढ़ जाता है। निजी वस्तुओं को साझा करने और प्रदूषित जल के संपर्क में आने की वजह से भी इसका असर देखने को मिल सकता है। आइए आपको बताते हैं कितनी खतरनाक है ये बीमारी और क्या है इससे बचने के उपाय।
क्या होता है कंजंक्टिवाइटिस?
कंजंक्टिवाइटिस को ‘पिंक आई’ भी कहा जाता है। यह हमारी आंख के सफेद हिस्से और पलकों के अंदरूनी हिस्से को ढकने वाली पारदर्शी झिल्ली या कंजंक्टिवा में सूजन आ जाने को कहते हैं। यह बैक्टीरिया या वायरस के संक्रमण या फिर किसी एलर्जी की वजह से भी हो सकता है। मानसून के मौसम में यह संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है क्योंकि इस दौरान हवा में नमी बढ़ जाती है, जिससे बैक्टीरिया और वायरस आसानी से पनपते हैं।
आई-क्यू सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के संस्थापक और CMD, डॉ. अजय शर्मा बताते हैं, ‘एक नेत्र रोग विशेषज्ञ के तौर पर मैंने पाया है कि मानसून का मौसम ही वह समय होता है जब कंजंक्टिवाइटिस सबसे ज्यादा फैलता है। बढ़ी हुई नमी और आर्द्रता बैक्टीरिया और वायरस के बढ़ने के लिए आदर्श स्थिति बनाती है, जिससे साल के इस समय में आंखों के संक्रमण ज्यादा आम हो जाते हैं।’
क्या है इसके लक्षण?
आंखों का लाल होना, दर्द, पानी या पस जैसा डिस्चार्ज और आंखों में किरकिरापन महसूस होना कंजंक्टिवाइटिस के आम लक्षण है। कुछ लोगों को धुंधला दिखना या लाइट से दिक्कत भी हो सकती है। वैसे तो ज्यादातर मामलों में कंजंक्टिवाइटिस एक हफ्ते के भीतर अपने आप ठीक हो जाता है, लेकिन इसकी वजह जानने और सही इलाज के लिए डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।
कैसे बचें कंजंक्टिवाइटिस से?
कंजंक्टिवाइटिस से बचाव को लेकर डॉ. अजय शर्मा सलाह देते हैं, ‘मैं मरीजों को सलाह देता हूं कि वे अपनी आंखों को छूने या रगड़ने से बचें, नियमित रूप से अपने हाथ धोएं, और निजी चीजों को दूसरों के साथ साझा न करें।’ वह आगे कहते हैं, ‘बाहर निकलते समय चश्मा पहनने और कॉन्टैक्ट लेंस पहनने वाले लोगों को उचित साफ-सफाई रखना भी संक्रमण के जोखिम को काफी कम कर सकता है।’
उन्होंने ये भी सलाह दी कि, ऐसी समस्या होने पर अपनी मर्जी से कोई भी दवाई न डालें। बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी आई ड्रॉप्स डालने से समस्या और बढ़ सकती है। उन्होंने कहा इस मौसम में अपनी आंखों की रोशनी को सुरक्षित रखने के लिए नेत्र विशेषज्ञ से सही जांच और इलाज करवाना ही सबसे सही विकल्प है।
मानसून के दौरान आंखों को लेकर अतिरिक्त सावधानी बरतना बेहद जरूरी है। इन महीनों में सतर्क और सावधान रहकर, हम अपनी आंखों को बचा सकते हैं और कंजंक्टिवाइटिस को फैलने से रोक सकते हैं।
डिस्क्लेमर: यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
[ad_2]
Source link