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Limca Success Story: कोल्ड ड्रिंक सेगमेंट में अमेरिकी बेवरेज कंपनी कोका-कोला (Coca Cola) का ब्रांड Limca का वैल्यूएशन अब 2,800 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। इसे भारत के स्वाद और मौसम को ध्यान में रखकर तैयार किया गया था। लेकिन, अब यह पेय आज ग्लोबल बेवरेज दिग्गज के पोर्टफोलियो का अहम हिस्सा बन चुका है। हालांकि, लिम्का एक भारतीय उद्यमी के दिमाग की उपज है।
कैसे हुई थी लिम्का की शुरुआत?
Limca की फॉर्मूला की खोज करीब 55 साल पहले हुई थी। दरअसल, भारत में हमेशा से नींबू वाले पेय पदार्थों की मांग थी। इस जरूरत को समझते हुए बिसलेरी ब्रांड के निर्माता रमेश चौहान ने एक खास नींबू स्वाद वाला पेय विकसित किया। हालांकि, 1975 में लागू आपातकाल के चलते इसका उत्पादन सात वर्षों तक रुका रहा।
1977 में हुआ कमर्शियल लॉन्च
आपातकाल के समाप्त होने के बाद साल 1977 में दिल्ली स्थित Lima Limca Limited ने Limca का प्रोडक्शन शुरू किया। यह पेय खासकर गर्मियों के मौसम में ताजगी और ऊर्जा देने के लिए बाजार में उतारा गया था। इसे पारंपरिक नींबू शरबत का आधुनिक संस्करण माना गया।
मालिकाना हक में बदलाव
Limca ब्रांड पहले रमेश चौहान के Parle Agro के मालिकाना हक में था। फिर 1993 में भारत में आर्थिक उदारीकरण के बाद Parle ने अपने कुछ प्रमुख ब्रांड्स – जैसे कि Thums Up, Gold Spot और Limca को कोका-कोला को बेच दिया। इसके बाद से Limca पूरी तरह कोका-कोला के नियंत्रण में है।
मार्केटिंग रणनीति से मिला बड़ा विस्तार
Limca की सफलता के पीछे उसकी आक्रामक और टार्गेटेड मार्केटिंग रणनीति भी मानी जाती है। शुरुआती वर्षों में ‘लिमिट तो लगाओ’ जैसे स्लोगन युवाओं को अपनी सीमाओं के पार जाने के लिए प्रेरित करते थे। वहीं, अब ब्रांड ‘चढ़ा दे ताजगी’ टैगलाइन के साथ नई ऊर्जा और ताजगी का संदेश दे रहा है। इसका फोकस युवा वर्ग और गर्मी के मौसम में तेजी से ताजगी देने पर रहा है।
मौजूदा ब्रांड वैल्यू और बाजार स्थिति
Coca Cola के अनुसार, वर्ष 2024 तक Limca की ब्रांड वैल्यू 2,800 करोड़ रुपये आंकी गई है। यह आंकड़ा न सिर्फ इसके मजबूत कंज्यूमर बेस को दर्शाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि भारतीय स्वाद को समझने वाली रणनीतियां आज भी बाजार में बड़ी भूमिका निभाती हैं।
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